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मैं परमानंद की चरम सीमा तक पहुंचते हुए, गर्म, चिपचिपे वीर्य की धार छोड़ते हुए अपने परम आनंद का गवाह हूं। यह शुद्ध आनंद का क्षण है, आत्म-प्रेम की शक्ति के लिए एक वसीयतनामा है।.