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संगरोध के बीच, एक खूबसूरत पत्नी आत्म-आनंद में लिप्त होती है, अपने स्पर्श में आराम और परमानंद की तलाश करती है। खाली घर में उसकी कराहें गूंजती हैं, उसकी अतृप्त इच्छा का एक वसीयतनामा।.